कुछ ऐसे हुआ फरिदाबाद का ब्लागर सम्मेलन

कार्यक्रम की जानकारी तो नुक्कड़ ब्लाग से मिल गयी थी, बाद में मैंने अविनाश जी से सम्पर्क बनाया। तब कार्यक्रम में जाने का इरादा पक्का किया। 12 की सुबह ही मैं मेरठ से फरिदाबाद के लिये निकल पड़ा क्योंकि इस ब्लागर सम्मेलन को 10:30 पर शुरू होना था, इसलिये समय से पहुंचना जरूरी था। लगभग 10:15 पर में सैक्टर 17 पहुंच गया। वहां पहुंचते ही साहित्य शिल्पी के राजीव रंजन जी को फोन लगाया, एक्जेट लोकेशन पता करने के लिये। उन्होने मार्डन पब्लिक स्कूल की सही स्थिति से मुझे बताई।
ये वहां का एक बड़ा विद्यालय था। स्कूल के बाहर ही एक बड़ा बैनर कार्यक्रम के सम्बध में लगा हुआ था। स्कूल में दाखिल होने पर रिसेपशन से पता किया कहां पर कार्यक्रम है, वहां से एक व्यक्ति मुझे हिन्दी सभागार में ले गया। बाहर ही राजीव रंजन जी स्वंय मेहमानो का स्वागत कर रहे थे। उन्होने बहुत ही जोश और स्नेह के साथ मेरा स्वागत किया और हाल की तरफ ले गए। आगे हमारे अन्य ब्लागर मित्र जो साहित्य शिल्पी तथा अन्य बलागों से भी जुड़े है मिले सभी पलकें बिछाए हुए मिले। ये मेरी राजीव रंजन और दूसरे दोस्तो से पहली मुलाकात थी। हाल में पहुंचकर देखा तो वह एक बड़ा कक्ष था, जहां स्लाइड प्रजेंटेशन पहले से ही चल रही थी। बहुत सारे ब्लागर बंधु कार्यक्रम की शोभा बड़ा रहे थे। कार्यक्रम अभी शुरू नही हुआ था।
मैंने अपना स्थान लिया। बराबर में ही सूलभसतरंगी जी बैठे हुए थे, जो गुड़गांव से आए हुए थे और दूसरी और हसते रहो वाले राजीव तनेजा जी। हमने एक-दूसरे से परिचय किया। मैंने देखा हाल में चारों और सभी सारे ब्लागर मित्र एक-दूसरे से गुफ्तगू में मशगूल थे। जितने पुरूष ब्लागर दिखाये दे रहे थे उनसे कहीं अधिक महिला ब्लागर वहां मुझे दिखी। कार्यक्रम में ब्लागर दोस्त लगातार बड़ रहे थे। योगेन्द्र मौदगिल जी दिखे, अविनाश जी भी तभी आए, वही दीपक गुप्ता भी साथ में दिखे हमसब एक-दूसरे से मिल रहे थे ओर जलपान चल रहा था। तभी मशहूर व्यंग्यकार प्रेम जनमेयजय जी तशरीफ ले आए। कार्यक्रम की अध्यक्षता उन्होने ही करनी थी।
राजीव जी ने स्वागत कार्यक्रम आरम्भ कराया। सरस्वती वंदना हुयी सबको पुष्प भेंट किए गए। कुछ औपचारिकताओं के बाद राजीव रंजन जी ने साहित्य शिल्पी के एक वर्ष की योगदान को स्लाइड प्रस्तुतिकरण के माध्यम से सबको दिखाया तथा ब्लाग और इंटरनेट पर हिन्दी के योगदान पर शानदार तरीके से अपने विचार रखे। एक सबसे लाजवाब बात जो इस कार्यक्रम की रही वो था इसका फार्मेट और उसकी मौलिकता। राजीव जी ने सबसे पहले जिसे हस्ती से लोगों को परिचित कराया था वो एक बुक सेलर श्री कुंद्रा जी थे। राजीव जी ने सस्ती साहित्यिक कृतियां बेचने के सन्दर्भ उनके योगदान को बताया। सभी लोग अभिभूत थे। इसके बाद अन्य मेहमानों ने भी अपने विचार रखें प्रेम जनमेयजय जी ने कमाल की बातें अपने साहित्यिक अनुभवों के बारे में साझा की। उन्होने अपनी त्रिनिनाद यात्रा के बारे में बताया कि वहां हिन्दी और साहित्य की क्या दशा है इसके अलावा वह हिन्दी और इंटरनेट तथा ब्लाग के बारें में भी जमकर बोले।
उन्होने बताया कि ब्लाग और वेब की इन साहित्यिक सेवाओं ने साहित्य से प्रवासी शब्द गायब कर दिया है, साहित्य सिर्फ साहित्य है, ना कि प्रवासी साहित्य। आगे उन्होने कहा ब्लाग या नेट लेखन पर आदमी संयम से परे हो जाता है, यहां लिखने के दौरान वे संयम को खो देता है। इसके बाद अन्य वक्ताओं व कवि/ब्लागर साथियों ने अपनी चुनिंदा कविताओं को रखा और इस प्रकार कार्यक्रम का पहला सेशन समाप्त हुआ। लंच के दौरान ब्लागर साथी एक-दूसरे से मिल रहे थे, जिन्हें अभी तक सिर्फ स्क्रीन पर ही देखा था वे अब लाइव मिल रहे थे। राजीव जी अविनाश जी स्वंय लोगों से भोजन के लिये निवेदन कर रहे थे। दूसरे सेशन में मेरे साथ में मीडिया खबर वाले पुष्कर पुष्प और टीवी प्लस वाले विनित बैठे थे। ये दोनो ही लजवाब बन्दे हैं। विनित ने तो जोरदार तरीके से अपनी बात रखी। उसने मुझे बताया कि मीडिया विषय पर वह शोध (मनोरजंन चैनलो की भाषिक संस्कृति) भी कर रहा है। बेहद संतुलित तरीके से पुष्कर ने भी अपने विचार रखें। अविनाश जी ने वहां पर सबको मेरी पुस्तक ब्लागिग के बारे में भी बताया। जिन ब्लागर साथियों ने अपने विचार रखे सबका नाम दे पाना तो मुश्किल है लेकिन जो याद रहे उनमें नमिता राकेश,सृजन के सुरेश यादव, अमन दलाल, शैफाली पांडे, विनोद कुमार पांडेय, पवन चंदन जी देशनामा वाले खुशदीप सहगल जी, तथा बहुत सारी महिला ब्लागरों ने भी अपने विचार रखें।
एक और मुख्य बात मुझे इस कार्यक्रम में दिखी कि फरीदाबाद के सभी गणमान्य अतिथी, पत्रकार, कवि और लेखक भी जमा थे। जो ब्लाग जैसे नये विषय को समझने के लिये उपस्थित थे। मुझसे इस कार्यक्रम में बहुत सारे लोगों ने मेरठ के ब्लागरों के बारे में भी पुछा, क्योंकि मेरठ के अनेक ब्लागरों ने अपने लेखन के जरिये विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना ली है, लेकिन बेहद अफसोस के साथ कहना पड़ रहा कि मेरठ में कोई राजीव रंजन नही है जो ब्लागिग के लिये इतना सर्मपित कार्यक्रम कर सके। कार्यक्रम में भाग लेने के लिये गुड़गांव, फरीदाबाद, मेरठ, गाजियाबाद, दिल्ली, लखनऊ, हलद्वानी, पटना, पानीपत आदि जगहों से ब्लागर आए हुए थे।