कल शाम एक फोन मेरे मोबाइल पर आया। ये फोन किसी अन्जान आदमी का था। उसने बताया कि वो मुम्बई से बोल रहा है और उस व्यक्ति ने एक वेब पता मुझे एसएमएस किया कि मैं इस वेब पते को देखू। जब मैंने वो साइट देखी तो मैं हैरान था कि मेरे कम्प्यूटर की जानकारीयां वहां उपलब्ध थी। मैं समझ चुका था कि मेरा कम्प्यूटर हैक कर लिया गया है। कुछ दिनों पहले फेसबुक की तरफ से मुझे लगातार मेल मिलते रहे कि मैं अपनी आई डी से गलत-गलत मैसेज लोगो को भेज रहा हूं इसलिए वो इसको बन्द कर रहे है। मैं यहां भी हैरान था कि हो क्या रहा है। शायद कोई वायरस है जो दिक्कते दे रहा है।
लेकिन किसी ने मेरे कम्प्यूटर को निशाना बना रखा था और मेरी जानकारीयां का गलत इस्तेमाल शुरू कर रहा था। अब जब मैं यह सब जान गया तो पता करना था कि कितना नुकसान हो चुका है और इसको कैसे रोका जाए। मैंने फोरन ही अपने कुछ साॅफ्टवेअर प्रोफेशनल दोस्तो से सम्र्पक बनाया और उनको बुलाया। समस्या की गहराई को बताया कि क्या हो रहा हैं। उन लोगों ने काम शुरू कर दिया और पता करना शुरू किया कि कम्प्यूटर कब हैक किया गया और कैसे। मेरे दोस्त है रियाज भाई अपने काम के माहिर है और बहुत पेशेवर। उन्होने तुरन्त पता कर लिया कि क्या हो रहा है। उन्होने बताया कि मेरे कम्प्यूटर का D ड्राइव हैक कर लिया गया है और जितना भी मेटर D ड्राइव में था उसको वहां से निकाला जा रहा है। उन्होने बताया कि मेरे कम्प्यूटर से कुछ गलत साइटो को खोला गया है और वहां जाकर अपना रजिस्ट्रेशन किया गया है तथा D ड्राइवसे कुछ फोटो मेल किए गए है। जब उस साइट से रजिस्ट्रेशन करने के बाद D ड्राइव से फोटो को मेल किया जा रहा था तभी फोटो का पाथ बताने के लिए D ड्राइव का पता दिया गया। बस तभी उन लोगो ने इस ड्राइव को अपना निशाना बनाया। और ये सारा काम आर्कूट साइट के जरीये ही हुआ हैं। क्योकि वही से स्क्रेप लिए और दिये जा रहे थे। तब कुछ लोगों ने इसको टारगेट किया।
मैं आर्कुट का प्रयोग कम ही करता हूं। लेकिन मैंने पता किया कि मेरा छोटा भाई आर्कुट चला रहा था और उसी ने उन हैक करने वाली साइटों पर गलती से रजिस्ट्रेशन कर दिया था। वो पागल कुछ शाइरी के एसएमएस तलाश कर रहा था नेट पर इसलिए वो ऐसी साइट पर पहूंच गया। बारहाल मैंने अपने दोस्तों की मदद से इस समस्या से छुटकारा पाया। हम शाम में ही गाजियाबाद गए। वहां मेरा एक और दोस्त जो इस काम का माहिर है रहता है। उसने लाइमवायर नाम का एक साॅफ्टवेअर के प्रयोग के बारे में मुझे दिखाया। ये लाइमवायर आपके बताए हुए कम्प्यूटरों से डेटा निकलता है ना कि किसी सर्च इंजन या सर्वर से। अब वो कम्प्यूटर आपका भी हो सकता है और मेरा भी। यहां एक बात में फिर से अपने सभी दोस्तों को बताना चाहूंगा कि आॅर्कूट जैसी साइटों पर रहना सेफ नही है वहां आपके फोटोस को निकाल कर गन्दी साइटो पर डाल दिया जाता है। आजकल आतंकवादी भी आर्कूट जैसी साइटों पर सोशल नेटवर्किग से अपने रिलेशन बना रहे है।
दूसरे यहां आपकी अपनी व्यक्तिगत जानकारी का कोई भी गलत फायदा उठा सकता है। और यदी आप आॅर्कुट जैसी साइटों के सदस्य है तो आपको तरह-तरह के लोग मुबारकबादें देगें, आपसे मिलना चाहेगे, बातें करना चाहेगें। जिन्हे आप जानते भी ना होगें वो सब आपके प्रोफाइल को विजिट कर रहे होगे। आपको किसी के बारे में क्या पता कि वो कौन लोग हैं। मेरा खुद का भी आर्कुट पर प्रोफाइल था। जिसका प्रयोग मैं अपने प्रकाषको को अपना काम दिखाने के लिए करता था और मेरे मित्रों में जो लोग ऐड थे मैं उन सबको व्यक्तिगत तौर पर जानता था क्योकि वो सब भी मेरे काम के साथ ही जूड़े हुए थे। लेकिन अब मैंने अपना आर्कुट का एकाउंट भी बन्द कर दिया हैं। अभी पिछले दिनों ही सोशल नेटवर्किग के बारे में बताते हुए कहा था कि इसके अगर फायदे भी है तो नुकसान भी है। हम सभी जानते है कि अदनान के साथ क्या हुआ था। उसको आर्कुट साइट के जरीये ही मारा गया था। ऐसे एक नही बहुत सारे उदाहरण है। सोशल नेटवर्किग जान-पहचान का एक अंधा माध्यम है। कल तक मेरे लिए सोशल नेटवर्किग एक सषक्त माध्यम थी लेकिन आज मुझे किसी के अन्जानपन से इतना बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ा। कम्प्यूटर और अपने डेटा और प्राईवेसी को तो मैंने बचा लिया लेकिन मै इस सब को लेकर कितना डिस्टर्ब रहा। मैं रात भर परेषान रहा। आज का पूरा दिन खराब हो गया। और सबसे बड़ी बात जब आपके कुछ करीबी लोग इससे जुड़े हो तब और भी दर्दनाक लगता है क्योकि वो सब इसके खतरनाक पहलूओं को नही समझ पाते हैं। उनके फोटोग्राफस और दूसरी जानकारीयों का ये लोग गलत इस्तेमाल कर सकते है। मेरे कम्प्यूटर को हैकिंग से बचाने के लिए तो मेरे पास रियाज और नितिन जैसे दोस्त है लेकिन सबके पास इतनी तकनीकी क्षमता वाले सम्र्पक नही होते है।
16 comments:
जितनी काम की है ... उतनी ही मुसीबत भरी भी है यह कम्प्यूटर और इंटरनेट।
यह तो बहुत भयंकर बात हुई। सचेत रहना होगा।
घुघूती बासूती
धन्यवाद, आप ने सब को बता कर अच्छा किया।
faayde bhi hain aur nuksaan bhi
अरे बाप रे! यह तो इब्ने सफी की जासूसी दुनियां की तरह रौंगटे खड़े करने वाला मामला लग रहा है।
मेल आई डी हर जगह देने से बचें.ध्यान में रखें की कौन -कौन आपका कम्प्यूटर इस्तेमाल कर रहा है. ब्राउजर में पासवर्ड याद रखने की सुविधा बंद रखें. नेट शेसन खत्म करने के बाद टेम्पररी फाइल और कुकीज मिटा दें. फिर कुछ हद तक इनसे बचा जा सकता है
bahad gambheer बात है .....हमें भी satrak rahnah होगा
संगणक की सुरक्षा के लिये मेरा सुझाव है कि हर व्यक्ति को अपने संगणक पर "जोन एलार्म" (Zone Alarm) नामक तंत्रांश स्थापित कर लेना चाहिये. इसका मुफ्त संस्करण काफी सशक्त है एवं इसे सही तरीके से लगाया जाये तो इसे हेक करना टेडी खीर है.
मैं पिछले 10 साल से इसका प्रयोग करता आया हूँ,एवं मेरा संगणक चौबीसों घंटे (सातों दिन) जाल से जुडा रहता है.
प्रति महीने कम से कम 200 से 600 बार हेकिंक की कोशिश होती है, लेकिन अभी तक कोई भी सफल नहीं हो पाया है.
सस्नेह -- शास्त्री
AS the hacking happened through Orkut, do contact google about this, so they can look into it and avoid such future incidents.
बचो बचो खतरे से बचो
क्या फेसबुक भी खतरनाक है
जब आरकुट है तो
फेसबुक भी हो सकती है
कम्प्यूटर विज्ञ बतलायें
Irshad...mai khud abhi, abhi in dudhaaree astr kaa shikaar ho chukee hun...badee bahyanak taurse....har tachneeq ke saath uskaa ddosaraa roop nazar aayee jata hai...internet ho yaa mobile....yaa landline....mobile camera, to aurbhi khatarnaaq....aapko jo marzee click kar le...record kar le aur phir har tarahki tarkeeben haazir ho jaatee hain haath jodke....aap hairan ke ye kab huaa....jo ki asalme huaahee nahee...!
Tumharee gairmaujoodgee dekh rahee hun kaafee dinonse...!
Maibhi aisehee hathiyaaron se maaree gayee...
bahut badia jankari hai ham to vese hi anjaan hain hame bhi schet rehne ki jaroorat hai dhanyvaad
संभव है कि जब हैक हुआ हो आपने अपने सिस्टम के "डी" ड्राईव को फुल शेयरिंग कर रखा हो। ऐसी परिस्थिती में हैकर्स के लिये डेटा उड़ाना बहुत आसान हो जाता है।
मेरे पास इन दिनों टाटा का कनेक्शन है इससे पहले जब लोकर ओपरेटर्स का कनेक्शन होता था तब कोई एक दर्जन लोगों के कम्प्यूटर्स मेरे सिस्टम पर आसानी से खोले जा सकते थे, उनका माल उड़ाया जा सकता था यहां तक कि पूरे कम्प्यूटर को मात्र एक बटन से तबाह किया जा सकता था।
इसिलिये जहां तक संभव हो अपने कम्प्यूटर को फुल शेयरिंग ना दें अगर देना जरूरी हो तो पासवर्ड से दें, इससे खतरा मिटेगा तो नहीं पर थोड़ा कम जरूर होगा।
बाकी तो हमारी मारवाड़ी में कहते हैं कि ताले तो साहूकारों के लिये होते हैं चोरों के लिये नहीं।
:)
॥दस्तक॥
गीतों की महफिल
तकनीकी दस्तक
well warned Irshad Bhai,your all posts are worth reading and we all appriciate them.I am from Pratapgarh up and working as a professor of literature in m.p.
keep writing and awakening people in all respects.
We, the people of India are with you in yr campaign against all odds.
In which publication u r working nowadays or u yr ownself has a publication?
with regards
Dr.Bhoopendra
शास्त्री जी की तरह हम भी 24 घंटे इंटरनेट से जुड़े होने के बावज़ूद, वर्षों से बचे हुये हैं, जोन एलार्म की बदौलत्। जिसका अभी पूर्ण इंटरनेट सिक्यूरिटी वर्सन है और इसके कारण लाखों अटैक रूक चुके हैं
…और ज्ञानदत्त जी ने खूब याद दिलाई इब्ने सफी के हमीद-विनोद की
श..श..श । डरना मना है ।
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