संसार तुम्हारी प्रतिक्षा मे है

अपनी अभिव्यक्तियों को अभिव्यक्त किजिए बिना किसी डर, सकोंच और हिचकिचाहट के, ये संसार तुम्हारी प्रतिक्षा मे है। और तुम सिद्ध करो अपना औचित्य कि तुम श्रेष्ठ हो। हमारे मन के किसी कोने में जब किसी कला ने जन्म लिया था और हमने कल्पनाओं के पंखों से उड़कर उसे अपने सुन्दर सपने का नाम दिया था तो वह वक्त अब आ खड़ा हुआ जब हम अपने सपनों को साकार करें।
मैं जब उन लोगों से मिलता हूं जिन्होने अपनी कामयाबी को इज्जत, शौहरत और दौलत में बदला है तो पाता हूं कि कामयाब होने की उनकी अपनी दिली ख्वाहिश थी और इसके साथ ही ऐसा कोई विचार जिसकी बदौलत उन्हे वह सब हासिल हुआ। उन्होने बस शुरुआत की कुछ भी न होते हुए लेकिन अपने रास्तों को खुद बनाया। अपनी मेहनत, हिम्मत और सोच के चलते खूद को दूसरो से अलग साबित किया। और आज सब उनकी बातें करते है।
इरशाद

1 comment:

रज़िया "राज़" said...

बहोत ही अच्छे विचार हैं आपके।