1 हिन्दी ब्लॉगिंग के अब तक से सबसे पक्के दोस्त। या कह लिजिये सबसे पक्की दोस्ती इन्ही की है। अविनाश (मौहल्ला) और यशवंत (भड़ास)
2 बेहद शर्मीली और सकोंची स्वभाव की महिला ब्लॉगर। जो विवादों से हमेशा दूर रहती है, जब प्रश्न महिला अस्मिता, स्वतन्त्रता या अधिकारों को हो। तब तो ये कही आस-पास भी नही दिखाई देती है। सुजाता (नोटपेड)
3 सबसे कम टिप्पणी करने वाले महानुभाव। सभी लोगों को इनसे शिकायत है कि ये इतनी कम टिप्पणिया क्यों करते हैं। जबकि अगले-पिछले दस सालों तक टिप्पणी करने का सर्वाधिक ठेका भारत सरकार ने इन्ही को दिया है। समीरलाल (उड़नतशतरी)
4 हिन्दूत्व और मोदी के सबसे कट्टर आलोचक और काग्रेंस और सोनिया गांधी के सबसे बड़े प्रशंसक। सोनिया गांधी की शान में जो कसीदे आपने अपने ब्लॉग पर कहे है वे बहुत ही दुर्लभ है। सुरेश चिपलूनकर (महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर )
5 साल में एक या दो पोस्ट ही लिखते है। अपने आप को मार्डन ज्ञानगुरू बनाने की राह पर ये बिल्कुल नही हैं। ज्ञानदत्त पाण्डेय जी से आप तंग आ चुके है। आलोक पुराणिक (अगड़म-बगड़म)
6 ये कभी-कभी ही ब्लॉगिंग करती है। और दूसरो से टिप्पणी कैसे निकलवायी जाती है इस कला से ये पूरी तरह अनभिज्ञ है, और हां टिप्पणी देने के मामले में समीरलाल जी से इनकी प्रतिस्र्पधा बिल्कुल नही हैं। हरकिरत हकिर (हरकिरत हकिर)
7 ये अभी तक रहस्य बना हुआ है कि ये अपना अधिकांशत समय ब्लॉगिंग को देते है या अपने मरीजों को। डा. अनुराग आर्य (दिल की बात)
8 ऐसा ब्लॉगर जिसको कोई मित्र ना बनाना चाहेगा, और जिसने ठान रखी है कि ब्लॉगिंग करते हुए अगर कोई मुसीबत में फंसेगा तो मैं उसकी मदद बिल्कुल ना करूंगा। संजय बैंगाणी (तरकश)
9 जिसके कार्टून कोई नहीं देखता लेकिन टिप्पणी सब करते है। इरफान (इतनी सी बात)
10 ऐसा ब्लॉगर जिसकी हर कोई बुराई करता है और तकनीकी दृष्टी से भी जो हमेशा बहुत पीछे चलता है। रवि रतलामी (छिटें और बौछारें)
11 बेहद सुलझी हुई और सादगी से रहने वाली महिला ब्लॉगर । शमा (ए लाइट बाइ लोनली पाथ)
12 ओमकार चौधरी जी के सूपरहिट ब्लॉग आजकल की सूपर-डूपर हिट और सर्वाधिक चर्चित पोस्टों तक पर इन्होने कभी टिप्पणी नही की। मनविंदर भिम्बर (मेरे आस-पास)
13 सबसे बड़े सैक्यूलर ब्लॉगर। अनुनाद सिंह (भारत का इतिहास)
14 उबाऊ और बोझिल पोस्टे लिखने वाला ब्लॉगर। इनको हिन्दी ब्लॉगिंग के हरिशंकर परसाई या शरद जोशी समझने का भम्र आप ना पाले। अनुप शुक्ला (फुरसतिया)
15 ऐसे ब्लॉगर मित्र जिनकी पोस्टों में सबसे ज्यादा व्याकरण की गलतियां होती है। और ये हमेशा ही लोगों की व्याकरण समबन्धित गलतियां करने के लिये प्रोत्साहित भी करते रहते हैं। वन्य जीवन के प्रति इनकी उदासीनता सबको दिखायी देती हैं। हरि जोशी (इर्द-गिर्द)
16 ये हमेशा ही दूसरों के ब्लॉग पर टिप्पणी करते है लेकिन इनके ब्लॉग पर कभी किसी ने टिप्पणी नही की। रविश कुमार (नयी सड़क/कस्बा)
17 ब्लॉगिंग से पैसे कमाने की अफवाह फैलाने वाला सबसे बड़ा ब्लॉगर। पी. एस. पाबला (इंटरनेट से आमदनी)
18 हिन्दी ब्लॉगिंग का सबसे युवा चेहरा। शास्त्री जे. सी. फिलिप (सारथी)
19 ये विविध विषयों पर रंग-बिरंगी पोस्टे लिखते है और जबरदस्ती अपने आपको बुद्धिजिवियों की कतार में शामिल करने का इनको कोई शौक नही हैं, और इनकी सबसे बड़ी विशेषता है कि ये लोगों से दूर भागते फिरते है। प्रवीण त्रिवेदी (प्राइमरी का मास्टर)
20 ये भी हमेशा से ही सबसे ब्लॉग पर टिप्पणी करते रहते है, जबकि इनके ब्लॉग को कोई देखता भी नही, और ये बिल्कुल भी अंहकारी नही है। (वैसे भी ब्लॉगिंग परम्परा में यह रविश कुमार के ताऊ होते है।) मनोज वाजपेयी (इट्स माई ब्लॉग)
21 शु्क्रवार के दिन इनको पता नही क्या हो जाता है। फिर ये अपना सारा बवाल अपने ब्लॉग पर निकाल देते है। अजय ब्रह्मात्मज (चवन्नी चैप)
22 हिन्दी ब्लॉगिंग को बदनाम करने में इन्होने कोई कसर नही छोड़ी। रात-दिन एक कर दिया अजीब-अजीब प्रयोग करने में इनकी बदौलत आज बहुत से भले लोग ब्लॉगिंग करते हुए बिगड़ गए हैं। जीतेन्द्र चौधरी (मेरा पन्ना)
23 हिन्दी ब्लॉगिंग की छोटी दीदी। अगर पी. एम. इन वेटिंग आडवानी ना होते तो ब्लॉगिंग समाज की ओर से आपके नाम की पेशकश भी कि जा सकती थी। घूघूती बासूती (घूघूती बासूती )
24 ये समीरलाल के सबसे बड़े आलोचक है, हमेशा ही उनकी बुराई करते रहते है और उनकी चापलूसी से तो ये कोसो दूर है। अरविन्द मिश्रा (क्वचिदन्यतोअपि! )
25 ये खूद ही अपना ब्लॉग लिखते है, हालांकि ये खुद इतने मशहूर नही है जितना मशहूर इनका ब्लॉग है, और ब्लॉगिंग को लेकर इनको कतई भम्र नही है कि अमिताभ बच्चन से इनकी प्रतिस्र्पधा हैं। अशोक चक्रधर (चक्रधर की चकल्लस)
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41 comments:
क्या लिखूँ? :) चलो मुस्कुरा देता हूँ :) आपने तो ठेल दिया, अब सर खुजाने वाले खुजाते रहे...
अच्छा लिखा ..
अच्छा है ! आपको अच्छी तरह पता है कि प्रमाण-पत्र देने के धन्धे में कोई मन्दी नहीं है।
चलिए मैं भी मुस्कुरा देता हूँ :-)
भीषण गर्मी में विभीषण होली का अहसास करा गए। जय हो आप की!
हाहाहा!
घुघूती बासूती
हाहाहा!
घुघूती बासूती
सुन्दर रचना!
बधाई
waah
maan gaye ustad !
हमारा भी जिक्र कर देते
भेले ही दुनिया के 250000 सच बोलने होते आपको
बढ़िया है।
Badaa darte hue, ye article kholaa...!
Padhneke baad dar to kam huaa..par aap sach to keh rahen hain naa? Meree khinchayee to nahee kar rahe?
Gar kar rahe hain to,mujhe chuchap e-mail me bata denaa...mere blogpe mat kkehnaa...aur zyada mashhoor nahee hona..!
Khair,ye to huee mazaq ki baaten..ab chupchap shukrguzaree ata karke bhag nikalti hun..warna pakdi naa jaoon...!
Snehsahit
shama
shukriya irshad bhai,
mujhe ummeed hai ki aap to mere cartoon padhte hi honge!
....आनंद आया।
सभी को तो लपेट लिया..हाय!! कोई तो बचा होता आपकी नजर से.. :)
कितना शोध किया होगा एक एक को इतना करीब से जानने के लिए. :)
In 25 sach ne kafi sare bloggers ki jaankari ek saath de di...
Itni achi post ke liye Aapka Hardik aabhar.....
वाह। एक अच्छी पोस्ट।
वाह जनाब !!
toba irshad bhai. kya iske alawa kuch nahin karte.
हा हा हा
मजा आ गया पढ़कर। बहुत अच्छी पोस्ट और बहुत अच्छी 'जानकारी'दी आपने।
सच नम्बर 26. ये अपनी पोस्टों में अपनी किताब का ज़िक्र भूल कर भी नहीं करते। हां, इनकी पोस्ट में मात्राओं पर ज़्यादा ध्यान न दें, ख़ासकर बड़े ऊ की मात्रा यहां वहां किसी भी शब्द में प्रकट हो सकती है। इरशाद अली (इरशादनामा)
दूसरो से टिप्पणी कैसे निकलवायी जाती है इस कला से ये पूरी तरह अनभिज्ञ है, और हां टिप्पणी देने के मामले में समीरलाल जी से इनकी प्रतिस्र्पधा बिल्कुल नही हैं। हरकिरत हकिर
सरासर झूठ....! अब मेरे घर जो आते हैं उनका स्वागत करना तो मेरा फ़र्ज़ है की नहीं....? मेरी और समीरलाल जी से प्रतिस्र्पधा....? अजी कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली .....??? मेरा उनका क्या मुकाबला भला ...!!
आप टिप्पणियों में माहिर गौतम राजरिशी , डाक्टर अनुराग , मुफलिस ,मनु जी , नीरज गोस्वामी, अल्पना जी, सीमा जी ,संगीता पूरी की बात करते तो भी मैं मानती ....!!
गरमी में कइयों को ठंडा कर दिया। बहुत खूब।
चलिए मैं भी मुस्कुरा देता हूँ !!!
पर कितना सच??
वैसे ब्लॉग दुनिया के केवल 25 सच - आश्चर्यजनक !!
शुक्रिया!!
विविध रंगों से बचियेगा मत!!
मारू प्रेक्षण !
इरशाद बाबू बस एक बात कह कर आपको बता देती हूं कि आपमें सही (व्यंग) लिख पाने का साहस नहीं है वरना यशवंत सिंह के साथ भड़ास न जोड़ कर "भड़ास blog" जोड़ते जैसा कि आपने फ़ेहरिस्त में अपने गुरू को जोड़ रखा है जानते नहीं है या बताने का साहस नहीं है कि "भड़ास" रजनीश के.झा और डा.रूपेश श्रीवास्तव चलाते हैं और हिंदी ब्लागिंग के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जो हमने करा है लेकिन तुम न तो पहला सच लिख सकते हो न ही आखिरी... बस ई-मेल भेज कर लिंक भेज कर पढ़वाते रहो कि कितना बेहतरीन लेख है जिसपर आप टिप्पणी करेंगे जरूर....
सप्रेम
मनीषा नारायण
वाह ये भी मस्त आईडिया है.
रामराम.
और सबसे बडे पंगेबाज इरशाद अली
( हमे सूची मे ना डाल कर पंगा जो लिया है ):)
आमतौर पर मुझे टिप्पणी करने वालों को में जवाब नही देता लेकिन प्रिय मनीषा के भम्र को दूर करने के लिये मुझे यहां आना पड़ा। मनीषा तुम्हारे दिमाग में क्या भरा हुआ है इसकी जांच की जरूरत हैं। तुमको अच्छा और स्तरीय साहित्य पढ़ना चाहिये। आपने कहा कि मुझमें व्यंग लिखने का साहस नही है। शायद आपकी नजर में व्यंग लिखना दूसरों की इज्जत को तार-तार करना तो नही हैं। मुझे क्या अधिकार है कि मैं दूसरों की इमेज के साथ व्यंग के नाम पर कुछ भी बकना शुरू कर दूं। यहां जिनके बारे में भी मैंने लिखा है वो सब हमारे मित्र और परिचित है। इसलिये हल्की-फुल्की नौंक-झौंक की जा सकती है लेकिन बदतामिजी नही। आपकी दूसरी शिकायत मैंने यशवंत के नाम के साथ भड़ास ब्लाग क्यों नही लिखा। इसलिये कहता हूं कुछ पढ़-लिख लो फिर ब्लागिंग करो। वो एक आटोमेटिक लिंक टूल है जो खुद-ब-खुद बदलता रहता है। मेरे ब्लाग पर अगर सबसे ज्यादा कोई ब्लाग प्रमोट होता है तो वो भड़ास ही है। और आपको जानकारी होना बहुत ही जरूरी है कि यशवंत जी से मेरा सम्बंध कैसा है। इसके लिये आपको रिसर्च की आवश्यकता है। जिस समय मैंने ब्लागिंग पर भारत की पहली पुस्तक लिखी तब उसके विमोचन को यशवंत जी के द्वारा ही सम्पन किया गया था। मेरठ में इतना बड़ा ब्लागिंग सेमिनार अभी तक नही हुआ हैं। और डा. रूपेश जी से भी मेरे सम्बध मधूर है उनके एड्स पर किये गए शोध का मैं बड़ा प्रशंसक हूं। और आपने कहा कि ना मैं पहला सच लिख सकता हूं ना आखिरी। तो जरा मेरी पूरानी पोस्टे पढ़ लिजियेगा। जावेद अख्तर को खुली चूनौती, समीरलाल, आलोक पुराणिक वाले सभी लेख आप जरूर पढ़े जितना मैने इनको कहा है अभी किसी दूसरे ने वो पहलू नही छुए हैं। हां डा. रूपेश को मैंने जरूर ईमेल भेजा था। अब नही भेजूगा अगर आप इसका इतना बुरा मानते हैं। (अच्छी टिप्पणीयां या पाठक ईमलों से नही मिलते बल्कि गुणवत्तापूर्ण, मनोरजंक और नये लेखन की बदौलत मिलते है, आप अपने इस भम्र को भी निकाल दे।) बाकि ईश्वर आपका कल्याण करें। मेरी ऐसी अभिलाषा है।
स्नेहाकांक्षी
इरशाद
व्यंग तो व्यंग है, और हर कोई इस विधा में लिखने की कोशिश करता है. लेकिन कई बार लोग ऐसा नया कोण ढूढ लेते हैं कि ताज्जुब होता है. आपका यह आलेख इसी तरह का है. साधुवाद.
हां, मुझे सबसे "जवान" लिखा है यह गलत है क्योंकि बचपन अभी बीता नहीं है!!!!!
सस्नेह -- शास्त्री
आपके ब्लाग पर टिप्पणी करने के बजाय एक प्रश्न कर रही हूँ। आपने एक ब्लाग पर लिखा था कि आज बडी संख्या में हिन्दी ब्लाग हैं लेकिन इन सभी को कैसे पढा जाए, मेरे सामने यह समस्या है। इस की विधि मुझे आप बताएंगे तो अहसान होगा।
इरशाद भाई
आपने शीघ्रता से जानकारी दी, इसके लिए आभार। वैसे में चिठठा जगत, ब्लागवाणी तो देख ही लेती हूँ अत: काफी सारे ब्लोग्स पर चक्कर लग ही जाता है।
जय हो इरशाद जी की....:)
इरशाद भाई ,
आपकी पोस्ट ने कुछ को मुस्कुराने को मजबूर किया ....तो कुछ को सफाई देने को ......कुछ ने रस्म अदायगी भी की .....कुल मिला कर पोस्ट मजेदार रही ........मेरे कहने को तो कुछ बचा ही नहीं
इरशाद जी,मेरे साथ आपको अपने संबंधों की मधुरता का आधार बताने के लिये बस क्या इतना कह देना काफ़ी है कि मनीषा के दिमाग़ की जांच कराई जाए या आप सचमुच मुझे जानते हैं?
इसलिये कहता हूं कुछ पढ़-लिख लो फिर ब्लागिंग करो। वो एक आटोमेटिक लिंक टूल है जो खुद-ब-खुद बदलता रहता है।क्या आपको लगता है कि अर्धसत्य ब्लाग जाहिल किस्म के लोग चला रहे हैं जरा स्पष्ट करिये कि क्या आपकी पोस्ट के पहले सच में भी ये लिंक किसी टूल की देन हैं या यशवंत के प्रति विशेष आदर??व्यंग क्या होता है क्या आप मनीषा की टिप्पणी में जान सके। क्या मेरे एड्स के शोध को पढ़ने के बाद उस पर एक शब्द भी लिखा या ये कह कर कन्नी काट लेना सही होगा कि वह मेरा क्षेत्र नहीं है....। भड़ास और भड़ासblog के बारे में लिख पाते तो शायद सचमुच मैं आपको साहसी मान पाता लेकिन चूंकि आपकी पुस्तक का विमोचन यशवंत सिंह जैसा मुखौटाधारी कर रहा है तो समझ आता है कि आप क्या हैं। विश्वास है कि मेरे प्रति आदर का दिखावा समाप्त हो गया होगा वरना मनीषा के लिखने पर छटपटा कर सफ़ाई देने न आ जाते सामान्यतः जैसे रहते हो वैसे ही बने रहते। यदि सचमुच आप स्वयं को स्नेहाकांक्षी लिख रहे हैं तो नए लेखन के लिये मनीषा और उन जैसे तमाम लोगो के नए लेखन को कभी प्रोत्साहित करने के लिए दो शब्द लिख देते। बदतमीजियां नहीं ये मनीषा का भोलापन है जो उन्होंने बात को इतने सपाट अंदाज में कह दिया।
इरशाद जी,
चलिए आप टिपण्णी के बहाने आये, मनीषा जी को उत्तर दिया. सब को सब का नाम दिया,
अगर व्यंग मात्र है तो हा हा हा हा हो हो हो हो
रही बात लोगों के पढ़े लिखे होने की सलाह देने की तो इस पर जरुर हा हा हा हो हो हो,
अन्यथा न लें मगर ये दंभ पढ़े लिखे में नहीं होता है और रही बात यशवंत, भड़ास और टूल बदलने की तो इस विषय पर हम चर्चा कर सकते हैं.
आप भी पढ़े लिखे हैं मगर हम भडासी तो अनपढ़ जाहिल हैं.
जय जय भड़ास
धन्यवाद डा. रूपेश जी का, धन्यवाद मनीषा जी का और भाई रजनीश के. झा का साथ ही साथ अन्य मित्रों का जो इरशादनामा को पसन्द करते है।
अभी एक ब्लागर मित्र से ब्लागिंग पर परिचर्चा हुयी तो उन्होने बताया कि वो ब्लागिंग अपनी क्रिएटिवीटी को बढ़ाने के लिये करती है, मेरे ख्याल से हम सब भी ऐसा ही सोचते है।
Wah Irshad g Behtar Tafteesh
badhai
or haan Manesh g ke kya haal hain ?
आज निगाह गई
खिंचाई
खींचा तानी
या तनातनी
ब्लॉगिंग में ऐसी
नहीं चाहिए सनसनी।
इंटरनेट पर क्रांति का सूत्रपात : खटीमा हिन्दी ब्लॉगिंग सम्मेलन के जीवंत प्रसारण को देखें
मीडियोकर्मियों को संबोधित करते हुए हिन्दी ब्लॉगिग कार्यशाला में अविनाश वाचस्पति ने जो कहा
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