इस चित्र को हाल ही मैं मैंने लिया है, ऐसा नज़ारा कभी-कभी ही देखने को मिलता है। ये दोनों महान लोग हिन्दी ब्लागिंग के लिये मील का पत्थर सिद्ध हुए है, दोनों ही पुराने खिलाड़ी है, और आज के सर्वाधिक लोकप्रिय ब्लागर के रूप में प्रतिष्ठित हैं। क्या आपको लगता है, इस चित्र में दुर्लभ होने जैसी कुछ बात है, यदि हां तो आप भी ब्लागिंग के दक्ष पुरोधा है, यदि नहीं तो कुछ पुराने ब्लाग पढ़िये?
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16 comments:
पढ़ते हैं जी कुछ पुराने ब्लॉग. लेकिन कितने पुराने, यह तो बताया ही नहीं आपने. दक्ष पुरोधा लोगों की यही बात ठीक नहीं लगती. वे सबकुछ नहीं बताते.
चलिए, पुराने ब्लॉग पढने से पता नहीं चला तो वापस आऊंगा. यह पूछने कि; "ये दोनों कौन हैं?"
इन चिरकुटों को इतना भाव मत दीजिए इरशाद जी वरना जाने कितनों के दिल जलेंगे....
खैर, मैं अपनी कह सकता हूं, मैं महान कतई नहीं हूं। अपने को मैं बार-बार कहता हूं मैं प्रचंड देहाती, चिरकुट और बेहया टाइप आदमी हूं। अपनी लंठई को अविरल और उद्दाम भाव से जीने के कारण कई बार प्रशंसा और बुराइयां बटोरता रहता हूं।
आप का आभार, जो फोटो खींचा ही नहीं बल्कि उसे प्रकाशित भी किया।
यशवंत
http://bhadas.blogspot.com
www.Bhadas4Media.com
एक यशवतं है एक अविनाश है. ये लोग अपने अपने ब्लॉग या साइट को जितनी उँचाई तक ले जा सकते थे, ले गए है. दोनो के विपरीत अपन तो अलग विचारधारा के है.
एक बात बता देता हूँ, ये लोग तब से ब्लॉगिंग कर रहे हैं जब हिन्दी लिखने के तमाम साधन विकसीत हो गए थे. आप उन्हे जानते है, जिन्होने साधन न होते हुए भी हिन्दी में लेखन की शुरूआत की थी? अगर नहीं तो कृपया पूराने लेख पढ़ें.
दोनो को शुभकामनाएं.
दोनो को शुभकामनाएं.
यशवंत जी से मिलना हुआ, भाषा की दृष्टि से ब्लाग पढ़ने योग्य न होने की बात कह चुका हूँ। रही बात अविनाश जी के ब्लाग की तो पुरानी गंदगी फिर से पढ़ने से कोई फायदा नही, मैला सिर पर बार बार नही ठोया जाता।
रही बात हिन्दी चिट्ठाकारी को उद्भव विकास की तो इनका आगमन तब हुआ जब एक अच्छी भीड़ आ चुकी थी। और जैसा कि संजय भाई ने कहा कि हिन्दी चिट्ठकारी सर्वसुलभ हो चुकी थी।
भए प्रकट कृपाला, दीन दयाला...
हम भी धन्य भये. शिव कुमार पढ़ कर हमें शार्ट नोट्स भेज देंगे सो उसे ही पढ़कर हम पास होने की कोशिश करेंगे.
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जाने क्यूँ, आज कनाडा में सूरज जल्दी डूब गया, इसलिए हम भी जल्दी सोने जा रहे हैं. :)
Kya baat hai?
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
फ़ोटो बड़ा धांसू है। यशवंत की बात मान भी लो भाई!
भाई वाकई दुर्लभ है
बस अपनी उपस्थिति जताने को एक स्माईली छोड़े जा रहा हूं.. :)
"ये दोनों कौन हैं?"
काजल कुमार जी चुटकुला अच्छा लगा।
यह संयोग कब और कहां हुआ, यह तो बताया ही नहीं। खैर, जो भी हो, दोनों को साथ देखकर अच्छा लगा। आप दोनों ही खूब ऊपर जायें, खूब यश कमायें, यही कामना है।
इरशाद भाई ने दोनों की अलग-अलग तस्वीरों को अपनी कलाकारी से एक कर दिया है। आप लोग इतना भी नहीं जान पाये? ये नैतिक नहीं है इरशाद भाई। कृपया आप लोगों को सच बता दें।
फोटोशाप इतना उन्नत साफ्टवेअर है कि क्या बताये। अविनाश जी लोग समझ ही नही पा रहे कि कम्प्यूटर ग्राफिक्स कितनी आगे निकल चुकी है, तो हम क्या करें। लेकिन बतौर नैतिकता मैंने ये गलत किया है, ऐसा नही करना चाहिये था। वैसे एक और बनाया है, लेकिन वो ?
Irshad ji..achha laga aapka blog dekh ke..aap khud purane blogger lagte hain!
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