मग्न रहूं तो कोई क्या बिगाड़ लेगा।

गुस्सा, अवसाद, हर्ष और रोमांच आजकल एकसाथ महसूस हो रहा है। गुस्सा इसलिये कि कोई कहने में नहीं है, अवसाद इसलिये कि मनचाहा हो नहीं रहा हर्ष इसलिये कि कितना कुछ नया कर पा रहा हूं और रोमांच इसलिये कि कुछ अनोखा जुड़ रहा है। भावनाओं को सलाम करता हूं। जितनी ज्यादा जीने के लिये सांसों का होना जरूरी है, उतना फिलिंग्स के उतार-चढ़ाव का होना जरूरी है।
मनेश कहते है, इरशाद भाई भावनात्मक आदमी की कोई क्रद नहीं है और क्रिएटिव आदमी तो किसी काम का ही नहीं, फिर मनेश अपने चारों तरफ क्रिएटिव और भावनात्मक लोगों के हुजूम को क्यों जोड़े रखते है। खैर अपनी बात करें। मुझे गुस्सा उस पर है जिसे कुछ कह नही पा रहा हूं, अवसाद कि वजह खुद ही हूं, मग्न रहूं तो कोई क्या बिगाड़ लेगा। हर्ष इस बात पर कि आप जो-जो भी चाहते है आप पा सकते है, अपनी सोच को आप जिस भी किस्म की ज़मीन देगें वैसे ही फसल तैयार होने लगती है, मैं आर्थिक परिदृश्य के संदर्भ में बात कर रहा हूं। और रोमांच जिंदगी में कम ही नसीब होता है, लेकिन आजकल हो रहा है, इसको हम रोमांस का नाम दे सकते है क्या? आप अनाम रिश्तों को क्या कह सकते है। कभी मनेश जी से पता करूंगा। क्योंकि सारे ठेके उन्हीं के पास है।
खैर आजकल फलैश सीख रहा हूं। बहुत पहले सीखना चाहता था, अब जब ज्यादा तंग हो गया तो शुरू किया। सलीम भाई रोज-रोज कैसे लिख लेते है, क्या कोई बतायेगा, या इनके पास कोई काम नहीं है, ओह ये अनुराग जी तो क्लासिक लेखन के वरदान होये जा रहे है, और अपनी मनविंदर मेम के क्या कहने। आजकल जोशी जी कहां है, कोई उनकी खबर देगा क्या।

5 comments:

कडुवासच said...

....बहुत खूब!!!!

kshama said...

Bade dinon baad aapne likha hai! Harsh aur romanch mubarak ho!
Likhte rahiye!

MANVINDER BHIMBER said...

आप मगन रहें......अच्छा है......आप रोमाचित भी हैं ...... रोमांस भी जी रहे हैं..... लेकिन रोमेंस के साथ आप अनाम रिश्तों की बात कर रहें ....ये कुछ समझ नहीं आया ..... रही बात सलीम भाई और अनुराग जी के लेखन की , तो .....उनकी लेखनी यूँ ही जवान रहे .......और जानकारियाँ बिखेरती रहे ......एक बात और......इस पोस्ट मैं कुछ छिपा हुआ है .....जो आप वक्त आने पर खुद ही खुलासा करेंगे

आशीष मिश्रा said...

आप मगन रहे कोई आप का कुछ नही कर सकता

uma said...

gud acha h, anam rishto ko jina, inme ghootan nahi hoti, umeed bhi nahi aur umeed puri na hone ka dar bhi nahi