
ब्लागवाणी का बंद होना, मानो सभी सम्पर्को पर ताले लग जाने जैसा है। जब तक कुछ ताजा पढ़ा-लिखी ना कर ले तब तक खाना भी हजम नही होता। ऐसा बहुतों का हाल है। ब्लागवाणी का बंद होना अब अखरने की हद तक आ पहुंचा है। इतना ही नही इसकी सुगबुगाहटे अब सुर्खियों का हिस्सा भी बनने लगी है। प्रस्तुत है, प्रख्यात पत्रकार मनविदंर भिम्बर जी दैनिक हिन्दुस्तान में प्रकाशित फीचर कथा, जो बता रही है आखिर क्या वजह रही है ब्लागवाणी के बंद होने की।
4 comments:
इरशाद भाई,
आरज़ू चाँद सी निखर जाए, ज़िंदगी रौशनी से भर जाए।
बारिशें हों वहाँ पे खुशियों की, जिस तरफ आपकी नज़र जाए।
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
………….
साँप काटने पर क्या करें, क्या न करें?
इरशाद जी
आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई!!
(ठीक एक साल पहले फरीदाबाद में साहित्य शिल्पी के समारोह में आपसे मुलाकात के पल ताजा हो गए)
iuomftqezhzotaddkkxx, justin bieber baby, vtmarqe.
Oh! Saalgirah hai? Bahut,bahut mubarak ho!
Kahan kho jate hain aap?
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