जब हमने अपनी घड़ी की सूई को देखा तो कुछ साल और यूंही सेल बदलते हुए निकल गए। घड़ी बंद रहती है आजकल। किसी दिन नया सेल लाकर बदलना है। चायनीज जूते पहनकर बुड्ढों का लुक भी जवान नज़र आता है। जुमें की पेठ से चायनीज जुते खरिदे जा सकते है। ये काला खिज़ाब लगाने के जैसा ही है। एग्रीगेटर खुले नही अभी तक पुराने वाले जबकि नये अपनी पहचान बनाने में लगे हुए है।
फेसबुक पर अब वो भी है जो नही हो सकते थे कभी। सामने कचैरीयां बेचने वाला हलवाई और बराबर में आटे वाले का प्रोफाइल अगर किसी दिन दिख जाए तो शयद अब मैं हैरान ना रहूं। जुकाम से पिछले आठ दिनों से परेशन हूं। रूमाल निकालते हुए झेंप सी आती है। इस सीजन की ठंड तो चलती बनी। तीनों नये कोट जलवागर हुए बिना ही पैक कर दिये मेडम ने। पुरानी जर्सीयां भारी पड़ी नये कोटो पर। खत्म हो रहा है वैसलीन का डिब्बाए नया लाउं या ना असमंजस बना हुआ है। एकता कपूर की हवा फुस्स हो गयी।
सब के सभी प्रोग्रामों पर क्षेत्रीय जबानों का बोलबाल है। इलीट भी आजकल यही देख रहा है। प्रसून का भोंडापन कभी भी गुलजार का कलाम नही हो सकता। जुकाम के चलते सर दर्द कर रहा हैए और में बोर भी हो रहा हूं। पोस्ट अब पब्लिश हो जानी चाहिये।
7 comments:
:)
Padhne me to maza aahee gaya! Gulzar nama kahan kho gaya?:)
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (31/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
hahaha,..post publish ho gayi hai ji.... ek din kee poori soch .. acchi lagi
आपकी पोस्ट "आप कैसे दिखते है?" की चर्चा हमारीवाणी ई-पत्रिका में की गई है.
http://news.hamarivani.com/archives/699
bahut dino baad fir khelene ka man hua ......blogging blogging.....Hamesha ki tarha is baar bhi tajgi mile aapke blog par aa kar......khush raho aabaad raho....
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